देश राजनीति खेल शिक्षा रोजगार विदेश मनोरंजन

Uttarakhand News: धामी सरकार ने बदले देहरादून-हरिद्वार के इन जगहों के नाम

हरिद्वार जिले में भगवानपुर ब्लॉक का नाम बदलकर श्रीरामजीपुर, वाहदराबाद ब्लॉक का नाम गंगीरी, नारसन ब्लॉक का नाम मोहनपुर कुंभक, बनपुर ब्लॉक का नाम श्री कुंपुर किया गया।

By Editorial Team

Published on:

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की, जिसके तहत राज्य के चार प्रमुख जनपदों हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में स्थित कई स्थानों के नाम बदले गए हैं। इस निर्णय के अंतर्गत विभिन्न स्थानों के नामों को बदलकर ऐसे नामों से जोड़ा जा रहा है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और गौरवशाली इतिहास से प्रेरित हैं। मुख्यमंत्री ने इस कदम को जनभावनाओं के अनुरूप और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।

मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि यह परिवर्तन न केवल स्थानों के नामों तक सीमित है, बल्कि इसका उद्देश्य लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ना और भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व की भावना को जागृत करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नए नाम उन महान व्यक्तित्वों और ऐतिहासिक महत्व के प्रतीकों को समर्पित हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, इतिहास और समाज के संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इस पहल से नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेने का अवसर मिलेगा, साथ ही वे उन महापुरुषों के जीवन और उनके कार्यों से परिचित हो सकेंगे, जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।

हरिद्वार जिले में भगवानपुर ब्लॉक का नाम बदलकर श्रीरामजीपुर, वाहदराबाद ब्लॉक का नाम गंगीरी, नारसन ब्लॉक का नाम मोहनपुर कुंभक, बनपुर ब्लॉक का नाम श्री कुंपुर और रुड़की ब्लॉक का नाम अक्षयपुर-कनखलपुर कर दिया गया है। इसी तरह, देहरादून जिले में देहरादून नगर निगम का नाम मियावाला, विकासनगर ब्लॉक का नाम केसरी नगर, चकराता ब्लॉक का नाम पृथ्वीराज नगर और सहसपुर ब्लॉक का नाम अनुशीलापुर रखा गया है। नैनीताल जिले में नवाबी रोड का नाम अतुल मार्ग और पंचक्की से आईटीआई मार्ग का नाम गुरु गोविंद मार्ग कर दिया गया है। ऊधमसिंह नगर जिले में नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम कोशल्या पुरी रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि यह बदलाव केवल नामों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह कदम राज्य के लोगों में अपनी सांस्कृतिक पहचान के प्रति गर्व की भावना को और मजबूत करेगा। साथ ही, यह पर्यटकों और बाहरी लोगों को भी उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके ऐतिहासिक महत्व को समझने में मदद करेगा। इस निर्णय से न केवल स्थानीय लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार होगा, बल्कि यह राज्य की पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक सशक्त बनाएगा।

Editorial Team

This article was written by the Hindu Live editorial team.