न्यूज़ डेस्क उत्तरकाशी- दिसंबर-जनवरी में जहां पहाड़ों में बरसात के बाद मौसम साफ हो जाता है। वहीं इस बार उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में दिसंबर माह में जंगलों में आग लगी हुई हैं। जिससे चारो ओर धुएं का कोहरा लगा हुआ है।
दिसंबर माह में भी जंगलों में आग
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उत्तराखंड के पहाड़ों में जहां जून-जुलाई में आग लगना आम बात है वहीं इस साल दिसंबर माह में भी जंगलों में आग लगी हुई है। प्रतिदिन विभिन्न विभिन्न पहाड़ों में आग दिखाई पड़ती है।
आखिर इस आग के लिए किसे दोष दें
उत्तराखंड के पहाड़ों में जून-जुलाई में आग लगे तो उसके कई कारण हो सकते हैं इसके लिए हम सरकार को भी दोष दे सकते हैं, परंतु यदि दिसंबर माह में पहाड़ों में आग लगती है तो फिर इसके लिए दोषी कौन? ऐसे में कई सवाल उठते हैं।
- पिछले तीन-चार दिनों में उत्तरकाशी के काफी जंगलों में आग लगी है और लगभग सभी गांव के नजदीक लगी है। जून-जुलाई में जहां आग को नियंत्रित करना जहां कठिन है, वही दिसंबर में आसानी से नियंत्रित हो जाती है।
- क्या यह आग स्थानीय लोगों द्वारा लगाई जाती है। क्योंकि दिसंबर माह में आग का लगना लगभग असंभव है।
- स्थानीय लोगों द्वारा ऐसे लोगों का विरोध क्यों नहीं किया जाता है जो अपने स्वार्थ के लिए जंगलों में आग लगाते हैं।
- आखिर अपने स्वार्थ के लिए वन संपदा का नुकसान क्यों?
- क्या स्थानीय प्रशासन ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें सजा नहीं दे सकती?
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पहाड़ों में प्रतिदिन आग लगने से वातावरण में भी काफी परिवर्तन होता रहता है जहां सुबह धूप लगने से चारों तरफ के नजारे खूबसूरत होते हैं वही आजकल केवल धुएं के कोहरे दिखाई देते हैं।
जब तक लोग वातावरण के प्रति अपने स्वार्थ को ऊपर रखेंगे, तब तक यह स्थिति जारी रहेगी। जहां धुएं से तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न होती है, वही कई प्रकार के वन संपदा नष्ट होती है।