उत्तराखंड निकाय चुनाव: चक्रीय आरक्षण के लिए माननीय की व्याकुलता और समर्थकों का उत्साह
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उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों शोरों पर है। निकायों में मेयर, अध्यक्ष और सभासदों के पदों पर माननीयों की कड़ी नजर है। सभी माननीय अब समर्थकों को बनाने और प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। गौरतलब है कि निकाय चुनावों में सभी पदों पर चक्रीय आरक्षण लागू होता है जो हर पांच-दस सालों में बदलता रहता है। ऐसा ही त्रसदीय पंचायत चुनावों में भी होता है जिसे लेकर सवाल भी उठते रहे हैं।
राज्य गठन के बाद अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि सत्ताधारी पार्टी चक्रीय आरक्षण में हद स्तर की मनमानी करती है। इसमें दलों के माननीयों को रोल होता है। इस बार जो ऑफ द रिकॉर्ड सूचनाएं मिल रही हैं कि कई माननीय अपने-अपने क्षेत्र में स्थित निकायों में अपने मनमुताबिक आरक्षण चाहते हैं।
आरोप लग रहे है कि माननीय ऐसा अपने खास समर्थकों को कुर्सी पर बिठाने और क्षेत्र में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वि को निपटाने के लिए कर रहे हैं। हालात ये हैं कि कई माननीय इसी लिए देहरादून के चक्कर काट रहे हैं। इस प्रकार की शिकायते आम होने लगी हैं। माननीयों की इन प्रयासों की शिकायत कई स्तरों पर भी हो रही है।
भाजपा संगठन तक भी कई माननीयों की शिकायत पहुंच रही हैं। मेयर और वार्ड सभासदों के चक्रीय आरक्षण को लेकर माननीय की व्याकुलता और समर्थकों का उत्साह इस कदर है कि दावे होने लगे हैं कि फलां निकाय का अध्यक्ष पद…. के लिए आरक्षित होगा।
माननीय यदि अपने प्रयासों में सफल होते हैं तो ये 2027 के विधानसभा चुनाव की एक तरह से पटकथा होगी। इस बात को माननीयों से क्षेत्र में प्रभावित लोगों ने खुलकर कहना भी शुरू कर दिया है।