उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों की बदनसीबी कहे या प्रशासन का निकम्मापन, जहां बमुश्किल ही ऐसा कोई महीना होता होगा जब मूलभूत सुविधाओं के अभाव में किसी गर्भवती महिला की मौत की दुखदाई खबर ना सुनने को मिली हो। ऐसी ही दुखदाई खबर नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक से आ रही है जहां गर्भवती महिला ने जंगल में दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। अब इसे स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव कहे या उस मां की बदकिस्मती, अस्पताल पहुंचने से पहले जच्चा-बच्चा की मौत हो गई, वहीं दूसरे बच्चे को हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा गया जहां बच्चे की हालत बेहतर बताई जा रही है।
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जानकारी के अनुसार नैनीताल जनपद के ओखलकांडा ब्लॉक के चमोली गांव निवासी विमला चिलवाल (24) पत्नी देव सिंह गाजियाबाद में रहते थे और हाल में ही गांव लौटे थे। चिकित्सकों ने विमला की प्रसव की अनुमानित तिथि 26 जनवरी तक बताई थी। सोमवार सुबह करीब 4 बजे विमला को प्रसव पीड़ा हुई। सड़क मार्ग से गांव करीब 2 किमी नीचे होने की वजह से विमला के ससुर और सास पैदल मार्ग से सड़क तक लाने लगे और 108 सेवा को भी सूचना दी। एक तरफ तड़के हुई प्रसव पीड़ा और दूसरी और कड़ाके की ठंड में विमला पैदल ही पथरीली मार्ग पर चढ़ने लगी।
जच्चा-बच्चा की मौत
जंगलो के बीच है होते हुए सड़क मार्ग तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में विमला का प्रसव हो गया और जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। किसी तरह प्रसूता और बच्चों को सड़क मार्ग तक पहुंचाया गया। जिसके बाद 108 की मदद से 36 किमी दूर स्थित ओखलकांडा के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया लेकिन तब तक जच्चा-बच्चा की मौत हो चुकी थी। परिजनों ने दूसरे नवजात शिशु को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में भर्ती करवाया। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को स्वस्थ्य बताया है। इस पूरी घटना से घर में मातम पसरा है वहीं हर कोई इस घटना को लेकर स्तब्ध है।