जानिए हरि महाराज मंदिर का इतिहास और कहां स्थित है मंदिर

हरि महाराज मंदिर का इतिहास: उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी में स्थित हरि महाराज मंदिर शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है। यह मंदिर मुस्टिक सौड गांव से सटे हरि पर्वत के ऊपर स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसपर किसी भी प्रकार का सीमेंट या ईंटों का इस्तेमाल नंही किया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरि महाराज के मंदिर पर केवल मिट्टी पत्थर और लकड़ी का ही उपयोग कर सकते हैं। सैकड़ों स्थानीय लोगों के आराध्य गांव से लगभग 3 किलोमीटर दूर बना है। यहां पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

कौन हैं हरि महाराज

हरि महाराज शिवजी (महादेव) के बड़े पुत्र कार्तिकेय का रुप हैं। सदियों पुराना यह मंदिर सैकड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। स्थानीय किसान सूखा पड़ने पर अर्जी लेकर हरि भगवान के पास पहुंचते हैं तो आराध्य देव उन्हें कभी निराश नहीं लोटने देते हैं।

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उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा गया है। यहां सैकड़ों देवी-देवताओं का वास है और भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा सहित सैंकड़ों नदियों का उद्गम स्थल है। विश्व विख्यात चारधाम यात्रा, हरि की पैड़ी हरिद्वार और पंच प्रयागों इसी छोटे से प्रदेश में स्थित हैं।