उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (ucc in uttarakhand) को लागू करने की तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी और अंदाजन विधानसभा सत्र के दूसरे दिन इस कानून पर मुहर लग सकती है। बता दें कि इस कानून की ड्राफ्ट रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को पिछले 2 फरवरी को ही सौंपा जा चुका है। जिसे आज वो विधानसभा सत्र के दूसरे दिन प्रस्तुत करने जा रहे हैं। बता दें कि सीएम के मुताबिक़ प्रदेश के लोग इस कानून की प्रतीक्षा लंबे अरसे से कर रहे हैं। उत्तराखंड में नागरिक संहिता विधेयक इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि ऐसा करने वाला यह पहला राज्य होगा।
सीएम के मुताबिक़ पूरे देश की नज़र फिल्हाल उत्तराखंड पर टिकी है, और यह पल उत्तराखंड के लिए बेहद इतिहासिक है,और हर उतराखंडवासी इसे अपने जेहन में ज़रूर याद रखेगा। सीएम ने यह भी बताया की इस कानून पर मुहर लगने से पहले उत्तराखंड के सभी दलों के सदस्यों से सकारात्मक रूप से चर्चा की जाएगी।
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी इस मामले में बात चीत की गई जिसपर उनका कहना है की वे यूसीसी कानून के खिलाफ़ नहीं है। मगर विपक्ष को भी इस कानून को पढ़ने का मौका और समय दोनों ही दिया जाए ।
बता दें कि इसी विषय में बीते दिनों कांग्रेस विधायक दल ने राजभवन का दरवाज़ा खट खटाते हुए यह शिकायत की थी की प्रदेश सरकार नियम के विरुद्ध जाकर सदन चला रही है। इसी बीच आंदोलनकारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्यमंत्रणा समिति से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है। वहीं सरकार द्वारा यह दावा किया गया है की प्रदेश में मौजूद सभी दलों को प्रयाप्त समय दिया जाएगा।
यूसीसी कानून क्या है?
अपने आज के इस आर्टिकल को खत्म करने से पहले मैं आपको यह बता दूं कि आख़िर यूसीसी कानून होता क्या है? यूसीसी कानून के अनुसार प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू किए जाएंगे। भले ही वो किसी भी धर्म से ताल्लुकात रखते हो। आपको यह भी बताते चले की उत्तराखंड के 2022 इलेक्शन में उत्तराखंड सरकार द्वारा इस कानून को लागू करने का वादा बीजेपी द्वारा किया गया था।
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