अच्छी उपज के लिए गेहूं की खेती कैसे करें ,पढ़े पूरी जानकारी गेहूं (Triticum aestivum) भारत की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। यह अनाज केवल खाद्य सुरक्षा में योगदान नहीं देता, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यदि आप गेहूं की खेती करना चाहते हैं, तो यहां एक संपूर्ण मार्गदर्शिका दी गई है, जिसमें भूमि की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक के चरण शामिल हैं।
अच्छी उपज के लिए गेहूं की खेती कैसे करें ,पढ़े पूरी जानकारी
1. भूमि की तैयारी
गेहूं की खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली, उपजाऊ भूमि का चयन करें। सबसे पहले, भूमि को गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी अच्छी तरह से हिल जाए। इसके बाद, मिट्टी को समतल करने के लिए हरियाली या हल्की जुताई करें। मिट्टी की pH मान 6 से 7 के बीच होनी चाहिए। यदि pH उच्च है, तो मिट्टी में चूना डालें।
2. बुवाई का समय
गेहूं की बुवाई के लिए सही समय का चुनाव करना महत्वपूर्ण है। सामान्यत: रबी (सर्दी) मौसम में, अक्टूबर से नवंबर के बीच बुवाई की जाती है। इसके अलावा, विभिन्न किस्मों के अनुसार बुवाई का समय भी बदल सकता है।
3. बीज का चुनाव
उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) और अन्य कृषि अनुसंधान केंद्रों द्वारा विकसित किस्में जैसे कि PBW 343, HD 2967, और C306 काफी लोकप्रिय हैं। बीज को बुवाई से पहले अच्छे से जांच लें और जरूरत पड़े तो बीजों का उपचार करें।
4. बुवाई की विधि
गेहूं की बुवाई के लिए विभिन्न विधियाँ होती हैं, जैसे कि छिड़काव और लाइन से बुवाई। लाइन से बुवाई में, बीजों को 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। छिड़काव विधि में, बीजों को समतल भूमि पर फैलाया जाता है। बुवाई के बाद, मिट्टी को हल्का सा दबाएं ताकि बीज अच्छे से मिट्टी में समा जाएं।
5. सिंचाई
गेहूं की फसल के लिए उचित सिंचाई प्रणाली का होना आवश्यक है। बुवाई के बाद पहले 30-35 दिन में नियमित रूप से सिंचाई करें। इसके बाद, पानी की आवश्यकता मौसम के अनुसार निर्धारित करें। यदि वर्षा होती है, तो सिंचाई की आवश्यकता कम हो सकती है।
6. उर्वरक का प्रयोग
उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग फसल की वृद्धि के लिए आवश्यक है। सामान्यत: NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। बुवाई से पहले 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 10-15 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ का प्रयोग करें। फिर, नाइट्रोजन का प्रयोग फसल की वृद्धि के समय करें।
7. कीट और रोग प्रबंधन
गेहूं की फसल विभिन्न कीटों और रोगों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि पत्तों का पीला होना और फफूंदी। नियमित रूप से फसल का निरीक्षण करें और यदि किसी प्रकार का रोग या कीट पाया जाए, तो उचित कीटनाशक या फफूंदनाशक का उपयोग करें।
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8. कटाई
गेहूं की फसल को तब काटें जब उसके रेशे पीले और कठोर हो जाएं। सामान्यत: यह 120-150 दिन में तैयार होती है। कटाई के बाद, फसल को अच्छे से सुखाएं और फिर उसे थ्रेसिंग करके अनाज को अलग करें।