बीते कल यानी मंगलवार 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकांश हिन्दू पर्यटक थे। आतंकियों ने घुड़सवारी और प्रकृति का आनंद ले रहे पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने पहले पर्यटकों से उनका नाम और धर्म पूछा, और हिन्दू नाम सुनते ही गोलियां दाग दीं। इस हमले में एक यूएई और एक नेपाली पर्यटक के साथ-साथ दो स्थानीय नागरिक भी मारे गए।
बैसरन घाटी, जो अपने हरे-भरे मैदानों और शांत माहौल के लिए जानी जाती है, दहशत का पर्याय बन गई। एक घायल पर्यटक ने बताया, “हम फोटो खींच रहे थे, तभी सैन्य वर्दी में आए आतंकियों ने हमसे नाम पूछे। मेरे दोस्त ने अपना नाम बताया, और अगले ही पल उसे गोली मार दी गई।”
सुरक्षाबलों ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। भारतीय सेना की विक्टर फोर्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन शुरू किया। सूत्रों के मुताबिक, हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े टीआरएफ (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने ली है, जिसे आतंकी हमलों के पाकिस्तान से फंडिंग मिलने का शक है। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा रद्द कर दिल्ली लौटने का फैसला किया।
इस हमले ने कश्मीर में पर्यटन और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वैश्विक समुदाय, जिसमें अमेरिका, रूस और यूएई शामिल हैं, ने इस नरसंहार की निंदा की। स्थानीय लोगों ने पीड़ितों के लिए कैंडल मार्च निकाला, लेकिन घाटी में डर और अनिश्चितता का माहौल है। यह हमला न केवल कश्मीर की अर्थव्यवस्था, बल्कि वहां की सामाजिक सद्भावना को भी चुनौती देता है।
